हेल्दी और सकारात्मक तरीके से दिल की शुरुआत करने के लिए अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति, भ्रामरी प्राणायाम को रूटीन में शामिल करें। यहां आपको ऐसे ही प्राणायामों के बारे में बताया जा रहा है जो श्वास अभ्यास के जरिए संपूर्ण शरीर के लिए लाभकारी हैं। अनुलोम-विलोम: इसे नाड़ी शुद्धि प्राणायाम भी कहा जा सकता है। इसे श्वसन अभ्यास के लिए एक शांत स्थान पर सुखासन या पद्मासन में बैठकर दाएं हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका बंद करें और बाईं नासिका से श्वास लें। अब अनामिका और छोटी उंगली से बाईं नासिका बंद करें और दाहिनी नासिका से श्वास छोड़ें। यही प्रक्रिया उलटी दिशा में दोहराएं। इस प्रक्रिया को 5-10 मिनट तक करें। अनुलोम-विलोम प्राणायाम के फायदे: अनुलोम-विलोम का अभ्यास मानसिक तनाव को कम करता है। फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाता है। एकाग्रता और फोकस बढ़ाता है और हृदय को स्वस्थ रखता है। भस्त्रिका प्राणायाम: ऊर्जा देने वाले इस श्वास अभ्यास के लिए रीढ़ सीधी करके बैठें। गहरी सांस लेते हुए जोर से सांस बाहर निकालें। यह प्रक्रिया तेजी से करें, लेकिन बहुत अधिक बल न लगाएं। इसे 2-5 मिनट तक करें। भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ: भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास फेफड़ों की शक्ति बढ़ाता है। ऑक्सीजन लेवल सुधारता है। आलस और सुस्ती दूर करता है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। कपालभाति प्राणायाम: कपालभाति प्राणायाम को शरीर को डीटॉक्स करने वाला अभ्यास कहा जा सकता है। इसके अभ्यास के लिए पद्मासन में बैठकर कमर सीधी रखें। फिर गहरी सांस लें और फिर पेट को अंदर खींचते हुए तेज़ी से सांस बाहर छोड़ें। यह प्रक्रिया लगातार करते रहें। इसे 5-10 मिनट तक करें। कपालभाति के लाभ: शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालता है। पेट और डायजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है। चेहरे की चमक बढ़ाता है। वजन घटाने में मदद करता है।
इन प्राणायाम श्वास अभ्यासों से करें अपने दिन की शुरुआत, जानें विधि और स्वास्थ्य लाभ |
