नई दिल्ली। आज की महिलाएं समाज में गृहिणी, मां, बेटी, पत्नी आदि की अपनी पारंपरिक भूमिका से कहीं अधिक भूमिकाएं
निभा रही है। आज के समय में घर की चारदीवारों से आगे, सामाजिक-आर्थिक और
राजनीतिक जीवन के निर्णयों में महिलाएं समान भूमिका निभा रही हैं। वे समाज और जीवन
के हर पहलू में हमेशा उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत रहती हैं। इन सब दायित्वों को
पूरा करने में कहीं न कहीं वे अपने स्वास्थ्य को उपेक्षित करती है, क्योंकि वे अपने पति, बच्चों, परिवार और घर के अन्य
लोगों को ज्यादा महत्व देती हैं। परिवार, काम और अन्य प्रतिबद्धताओं का खयाल रखते हुए और हर कार्य
में अपना 100 प्रतिशत देते हुए वे अक्सर अपनी सेहत का खयाल रखना भूल
जाती हैं। ऐसे में जब उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव आता है, कोई तकलीफ होती है या
कोई रोग हो जाता है, तब ही वे सचेत होती हैं और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने
लगती है। महिलाओं को यहां ये समझना होगा कि परिवार की देखभाल और कार्यक्षेत्र की
चुनौतियों व समस्याओं का सामना और समाधान करने के लिए उन्हें अपने आप को मानसिक और
शारीरिक स्तर पर स्वस्थ और सशक्त रखने की अधिक आवश्यकता है। हम परिवार और समाज का
स्तंभ और नींव है। अगर नींव कमजोर हुई तो पूरी इमारत पर असर आना निश्चत है। इसलिए
प्रतिदिन थोड़ा सा समय योग के लिए अवश्य निकालें। कारण, योग पूर्ण स्वास्थ को
प्राप्त करने का एक मात्र माध्यम है।
बहुत सी महिलाएं यह कहती हैं की इतनी सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए
पूरा एक घंटा अपने आपके लिए या अपने स्वास्थ्य के लिए निकाल पाना मुश्किल है। यह
बात सही भी है। कारण, अगर कामकाजी हैं तो सुबह घर का सारा काम निपटाकर फिर आफिस
के लिए तैयार होना और आफिस जाना, पूरे दिन आफिस का काम करना फिर शाम को वापस आना और परिवार
को संभालना। यदि गृहिणी हैं तो बच्चों, परिवार और घर के समस्त कार्यों के बीच पूरा दिन निकल जाना
आम बात है। घर-बाहर के सारे दायित्वों का निर्वाह करते हुए एक साथ एक घंटे का भी
व्यवस्थित समय वे अपने लिए नहीं निकाल सकती हैं। ऐसे में हमें यह करना है कि यदि
हम प्रतिदिन एक घंटे का समय एक साथ नहीं निकाल पा रहे हैं तो कोई बात नहीं। दिन
में करीब चार बार 15-20 मिनट का समय निकालें और अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
का ध्यान रखने के लिए छोटे-छोटे अंतरालों में योग अभ्यास करें।
सुबह का अभ्यास
सबसे पहले सुबह जब आप उठती हैं तो बिस्तर छोड़ने का समय करीब 15 मिनट पहले का कर
लें। इसके लिए आपको यह भी करना होगा कि रात में बिस्तर पर जाने का समय थोड़ा सा
व्यवस्थित करें। रात में बिस्तर पर थोड़ा सा पहले जाना शुरू करें। इससे आप सुबह के
अपने निर्धारित समय से करीब 15 मिनट पहले उठना शुरू करें। ये 15 मिनट केवल अपने लिए
होने चाहिए। सुबह उठते ही आप चाहें तो अपने बिस्तर पर या फिर मैट पर कुछ आसन करें, जैसे सुप्त ताड़ासन, सुप्त वक्रासन, सेतुबंध आसन या मार्जरासन।
इसके बाद में सात-आठ मिनट अनुलोम विलोम प्राणायाम करें। आप पाएंगी कि केवल 15 मिनट के इस अभ्यास
से आपने पूरे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम दिया है। इससे आपका पाचनतंत्र, श्वसनतंत्र और अन्य
प्रमुख तंत्र सुचारु रहेंगे साथ ही समस्त अंग सक्रिय रूप से काम करेंगे।
दोपहर के भोजन से पहले
अगर आप घर पर हैं तो मैट पर खड़े होकर और अगर आप आफिस में हैं तो कुर्सी पर
बैठकर 15 मिनट में निम्न अभ्यास कर सकती हैं। मात्र 10 मिनट ताड़ासन, पर्वतासन, कोणासन, वक्रासन, हस्तपादासन करें।
इसके बाद पांच मिनट सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास करें। 15 मिनट के इस अभ्यास
से पूरे शरीर में रक्तसंचार सुचारू होगा और आप स्वयं को ऊर्जावान महसूस करेंगी।
संध्याकाल में
जब आप आफिस से घर पहुंचती हैं तो घर के कार्यों को शुरू करने से पहले आप करीब 10 मिनट का एक लंबा
शवासन या 10 -15 मिनट की योगनिद्रा का अभ्यास कर सकती हैं। इस अभ्यास से
पूरे दिन की थकान बिल्कुल गायब हो जाएगी और आप तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करेंगी।
रात के समय
रात्रि भोजन जल्दी करने का प्रयास करें। हर हाल में सोने के लगभग दो से ढाई
घंटे पहले भोजन कर लेना चहिये। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि रात का भोजन दिन
के मुकाबले काफी हल्का होना चाहिए ताकि भोजन आसानी से पच सके। सोने से पहले आप
निम्न अभ्यास कर सकती हैं, जैसे विपरीतकरणी (दीवार के सहारे दोनों पैर ऊपर टिकाकर)
लगभग पांच मिनट। इसके बाद उदर श्वसन (डायाफ्रामेटिक ब्रीथिंग) करीब 10 मिनट करें। इससे
पाचनतंत्र सही रहेगा साथ ही नींद भी अच्छी आएगी।
ये बहुत ही सरल अभ्यास हैं, लेकिन इनके बहुत फायदे हैं। चाहे आप दिनभर खड़े रहकर घर में
काम कर रही हों या फिर आफिस में कुर्सी पर बैठे हुए कार्य कर रही हों प्रतिदिन के
इन अभ्यासों से न केवल आपके पैरों को आराम मिलेगा, बल्कि आपकी रोग
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी साथ ही आपका पाचनतंत्र दुरुस्त होगा। इसके साथ ही शरीर
में रक्तसंचार सुचारू होगा। सबसे महत्वपूर्ण इन अभ्यासों से मौजूदा समय में अधिकतर
लोगों को हो रही अनिद्रा की तकलीफ भी दूर होगी।
नियमित योगाभ्यास से न सिर्फ हम बीमारियों को आने से रोक सकते हैं, बल्कि हम अपनी
बीमारियों को ठीक भी कर सकते हैं। जीवन में सकारात्मक विचारों का होना बहुत आवश्यक
है। कारण, निराशात्मक और नकारात्मक विचार असफलता की ओर ले जाते हैं।
योग से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही योग से आत्मिक बल प्राप्त
होता है और मन से चिंता, विरोधाभास एवं निराशा की भावना दूर होती है। मन को आत्मिक
शांति एवं आराम मिलता है, जिससे मन में प्रसन्नता एवं उत्साह का संचार होता है। इसका
सीधा असर हमारे व्यक्तित्व एवं सेहत पर होता है। अगर एक महिला मानसिक और शारीरिक
स्तर पर स्वस्थ रहेगी तो पूरे परिवार का स्वस्थ होना निश्चित है। इसलिए प्रतिदिन
अपने व्यस्त समय में कुछ समय योग के लिए अवश्य निकालें और अच्छी तरह से योग सीखकर
नियमित योगाभ्यास करें।