पाकिस्तान ने
गुरुवार को
एक महत्वपूर्ण आधिकारिक बयान जारी
किया, जिसमें उसने
चंद्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर रोवर
भेजने के
अपने मिशन की
घोषणा की।
पाकिस्तान की
अंतरिक्ष एजेंसी सुपार्को ने
इस मिशन को
तैयार किया
है, और रोवर
को चंद्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर भेजने की योजना बनाई है।
भारत की सफलता के बाद पाकिस्तान के अंतरिक्ष मिशनों पर सवाल
भारत के
चंद्रयान मिशन
की सफलता के
बाद पाकिस्तान के
अंतरिक्ष कार्यक्रम पर सवाल
उठने लगे थे।
लोग यह पूछ
रहे थे कि
पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी सुपार्को इतनी पीछे
क्यों है, और इस
घोषणा के
बाद अब सवाल
यह उठ रहे
हैं कि पाकिस्तान का इस
मिशन में असल
योगदान क्या
है।
चीन के साथ समझौता: पाकिस्तान का चंद्रमा मिशन
दरअसल, पाकिस्तान ने
इस मिशन के
लिए चीन की
अंतरिक्ष एजेंसी (CNSA) के साथ
एक समझौता किया
है। 5 फरवरी 2025 को
पाकिस्तान के
राष्ट्रपति आसिफ
अली जरदारी और
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उपस्थिति में इस
समझौते पर
हस्ताक्षर किए
गए। इस समझौते के तहत, पाकिस्तान का
पहला स्वदेशी चंद्र रोवर चीन
के चांग'ए-8
मिशन का हिस्सा बनेगा, जो 2028
में लॉन्च होगा। इसका मतलब
है कि पाकिस्तान का रोवर
चंद्रमा पर
भेजने की
जिम्मेदारी चीन
की होगी।
चांग'ए-8
मिशन: चीन का महत्वाकांक्षी परियोजना
चीन का
चांग'ए-8
मिशन वैज्ञानिक अनुसंधान, टेक्नोलॉजी का
परीक्षण और
चंद्रमा की
सतह का मानचित्रण करने के
उद्देश्य से
डिजाइन किया
गया है। इस
मिशन में पाकिस्तान की भागीदारी एक महत्वपूर्ण मील का
पत्थर है, क्योंकि इससे
पाकिस्तान के
अंतरिक्ष कार्यक्रम को और
अधिक मजबूती मिलेगी।
पाकिस्तान का चंद्र रोवर: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर
सुपार्को द्वारा तैयार किया
गया चंद्र रोवर
चंद्रमा के
दक्षिणी ध्रुव पर तैनात किया जाएगा। यह क्षेत्र अपने अद्वितीय वातावरण के
लिए प्रसिद्ध है।
इस मिशन के
तहत भेजे जाने
वाले रोवर में
एक एडवांस पेलोड भी होगा, जिसे चीनी
और यूरोपीय वैज्ञानिकों के सहयोग से डिजाइन किया गया
है। यह रोवर
चंद्रमा की
सतह का गहनता से विश्लेषण करेगा।
पाकिस्तान के लिए बड़ी उपलब्धि: क्या उम्मीदें हैं?
अगर यह
मिशन सफल होता
है, तो पाकिस्तान चंद्रमा की
सतह की गहरी
जांच कर सकेगा। इससे चंद्रमा की मिट्टी की संरचना और उसकी
संसाधन उपयोग की क्षमता का अध्ययन होगा। साथ
ही, पाकिस्तान भविष्य के अपने
मिशनों के
लिए रूपरेखा तैयार कर सकेगा। यह मिशन
पाकिस्तान की
अंतरिक्ष एजेंसी के लिए
एक बड़ी उपलब्धि हो सकता
है, और अगर
यह सफल होता
है तो पाकिस्तान को आगे
के अंतरिक्ष मिशनों के लिए
आत्मविश्वास मिलेगा।
पाकिस्तान और चीन के बीच मजबूत सहयोग
यह सहयोग पाकिस्तान और
चीन के बीच
द्विपक्षीय संबंधों को और
मजबूत करता
है और गहरे
अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए
आपसी सहयोग को
बढ़ावा देता
है। हालांकि इसे
पूरी तरह से
पाकिस्तान की
उपलब्धि नहीं
माना जाएगा, फिर भी
यह सुपार्को के
लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में और
भी मिशनों की
दिशा तय कर
सकता है।